कुर्तबा की जामा मस्जिद जहां कभी 800 साल तक मस्जिद के मीनारों से अज़ान की सदा बुलंद होती रही लेकिन अब यहां पर सिर्फ सलीब दिखाई देती हैं.!

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कुर्तबा की जामा मस्जिद जहां कभी 800 साल तक मस्जिद के मीनारों से अज़ान की सदा बुलंद होती रही लेकिन अब यहां पर सिर्फ सलीब दिखाई देती हैं.!


स्पेन के सफर के दौरान जो चीज अल्लामा इक़बाल के लिए सबसे ज्यादा दिलचस्पी का बायस बनी वह मस्जिद ए कुर्तबा थी, इस मस्जिद को गिरजाघर में तब्दील कर दिया गया था अल्लामा इक़बाल ना सिर्फ इस मस्जिद को देखना चाहते थे बल्कि यहां नमाज़ भी पढ़ना चाहते थे लेकिन रुकावट यह थी कि स्पेन के कानून के मुताबिक इस मस्जिद में अज़ान देना और नमाज पढ़ना ममनूअ था.!

प्रोफेसर अर्नाल्ड की कोशिश से अल्लामा इक़बाल को इस शर्त के साथ मस्जिद में नमाज अदा करने की इजाजत दे दी गई..कि वह मस्जिद के अंदर दाखिल होते ही अंदर से दरवाजा बंद कर लेंगे.!

मस्जिद में दाखिल होते ही अल्लामा इक़बाल ने अपनी आवाज की पूरी कुव्वत के साथ अज़ान दी “अल्लाह हू अकबर” “अल्लाह हू अकबर” 800 साल के अर्से में यह पहली अज़ान थी जो मस्जिद के दर व दीवार से बुलंद हुई.!

अज़ान से फारिग होने के बाद अल्लामा इक़बाल ने मुसल्लाह बिछाया और 2 रकात नमाज अदा की..नमाज़ में आप पर इस कदर रिक्कत तारी हो गई..गरया व जारि बर्दाश्त ना कर सके..और सजदे की हालत में बेहोश हो गए जब आप होश में आए तो आंखों से आंसू निकल के रुखसारों
पर से बह रहे थे, और फिर सुकून ए कल्ब़ हासिल हो चुका था..जब आपने दुआ के लिए हाथ उठाए तो यकायक अशआर का नजूल होने लगा.. हता कि पूरी दुआ अशआर की सूरत में मांगी.!

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