जब ‘जूली’ के ‘वियोगी’ ने सुप्रीम कोर्ट की बात मान ली ..

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Team TRP
बारह साल पहले अपनी छात्रा के साथ लिव इन में रहने की वजह से पटना यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मटुकनाथ चौधरी को पत्नी ने घर से निकाल दिया था। उसके बाद वे लव गुरु के नाम से फेमस हो गए। अब उन्होंने में पत्नी के साथ मामले को सुलझा लिया है।
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में मटुकनाथ ने आश्वासन दिया कि वह अपनी पत्नी को पूरी जिंदगी वेतन और पेंशन का एक-तिहाई हिस्सा पत्नी को देंगे। मटुकनाथ 2006 में उस समय सुर्खियों में आए थे, जब उनकी पत्नी ने टीवी पत्रकारों की सहायता से उस घर में छापा मारा था जहां वह अपनी पूर्व शिष्या के साथ लिव इन में रह रहे थे। उनकी पत्नी ने उन्हें उस घर में रंगे हाथों पकड़ा था। इसके बाद उन्होंने सार्वजनिक रूप से जेएनयू से पासआउट छात्रा जूली कुमारी से अपने प्रेम संबंध को स्वीकार किया था।
उसके बाद चौधरी के मुंह पर कुछ लोग और रिश्तेदारों ने काली स्याही पोत दी थी।इस घटना के बाद मटुकनाथ की पत्नी ने उसे घर से बाहर निकाल दिया था। वकालत कर रहीं उनकी पत्नी ने उनके खिलाफ घरेलू हिंसा ऐक्ट के तहत मामला दर्ज कर गुजारा भत्ता की मांग की। इस कपल को बेटा भी है जो स्वीडेन में रहता है। पटना बीएन कॉलेज के हिंदी के इस प्रोफेसर को निचली अदालत ने आदेश दिया था कि वह अपनी पत्नी को 25000 रुपए प्रति महीना गुजारा भत्ता दें। अदालत ने 2007 में 18.5 लाख रुपए बकाया राशि भी देने का आदेश दिया था। इसके बाद उसने इस फैसले के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में अपील की थी। कोर्ट ने उनकी याचिका को ठुकरा दिया था और निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा गया। उसके बाद प्रोफेसर ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 2007 में उनकी सैलरी मात्र 35 हजार रुपए थी और निचली अदालत द्वारा आदेशित गुजारे भत्ते की राशि काफी ज्यादा है। उन्होंने यह भी कहा कि वह होम लोन के लिए 50 हजार रुपए प्रति महीना ईएमआई चुका रहे हैं। यह घर उन्होंने पत्नी द्वारा घर से निकाले जाने के बाद खरीदा है। पत्नी की तरफ से वकील दुर्गा दत्त और करुणाकर महालिक ने जस्टिस कुरियन जोसेफ के नेतृत्व वाली बेंच से कहा कि हाई कोर्ट और निचली अदालत का आदेश सही है। उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान में प्रोफेसर मटुकनाथ की सैलरी 1.8 लाख रुपए है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने आपसी तालमेल से विवाद सुलझाने को कहा। सुप्रीम कोर्ट की सलाह पर मटुकनाथ और उनकी पत्नी के बीच सुप्रीम कोर्ट के परिसर में ही बातचीत हुई जिसके बाद वह समझौते पर तैयार हुए।

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