TRP desk Report….
भारत में 70 आबादी कृषि पर निर्भर है. दिन रात किसान मेहनत करके कृषि करके पुरे भारतवर्ष का पेट भरता है. और लोगों को जीवित रखता है. मगर खुद किसान अपने आपको आप को जीवित नहीं रख पाता है. ऐसा हम नहीं कह रहे है. बल्कि सरकारी आकड़ों से पता चला है. सुचना अधिकार अधिनियम से मिली जानकारी के अनुसार 2013 से 2018 तक महाराष्ट्र में कुल 15356 किसानों ने आत्महत्या करके अपनी जीवन समाप्त कर लिया है. अघाड़ी सरकार की तुलना में भापजा शासन कार्यकाल किसानों ने दुगुना आत्महत्या की है. कई किसान तो मंत्रालय में आत्महत्या की है या आत्महत्या करने की कोशिश की है. जिसके बाद मंत्रालय में आत्महत्या रोकने के जाली लगा दी गई है.
महसूल व वन विभाग से राज्य में किसानो की आत्महत्या की जानकारी मांगी थी एवं कुल कितने किसानो का कर्ज माफ़ किया गया है और आत्महत्या रोकने के लिए किये गए उपाययोजना की जानकारी मांगी थी इस सन्दर्भ में सुचना अधिकारी तथा कक्ष अधिकारी, महसूल व वन विभाग ने जानकारी उपलब्ध कराया है. जानकारी के अनुसार 2013 से 2018 तक महाराष्ट्र में कुल 15356 किसानों ने आत्महत्या की है तथा सरकार सिर्फ 8911 किसानों की आत्महत्या को पात्र किय है. वहीँ कुल 5713 आत्महत्या को अपात्र कर दिया है. एवं कुल 732 आत्महत्या की जाँच करना बाकि है. तथा कुल 8868 मृत किसान के परिवार वालों को सहायता राशी दिया गया है. जानकारी के मुताबिक अघाड़ी सरकार की तुलना में भापजा शासन कार्यकाल किसानों ने दुगुना आत्महत्या की है.
*वर्षानुसार आत्महत्या एवं पात्र आत्महत्या की जानकारी!*
वर्ष 2013 में कुल 1296 किसानों ने आत्महत्या की थी. मात्र 655 किसानों की आत्महत्या को पात्र किया गया. तथा 629 किसानों की आत्महत्या को अपात्र किय गया, एवं आज भी 2 आत्महत्या की जाँच बाकि है. तथा कुल 665 मृत किसान के परिवार वालों को सहायता राशी दी गई है.
वर्ष 2014 में कुल 2039 किसानों ने आत्महत्या की थी. मात्र 1385 किसानों की आत्महत्या को पात्र किया गया. तथा 675 किसानों की आत्महत्या को अपात्र किय गया, एवं आज भी 7 आत्महत्या की जाँच बाकि है. तथा कुल 674 मृत किसान के परिवार वालों को सहायता राशी दी गई है. तक़रीबन 60 प्रतिशत आत्महत्या बढ़ा.
वर्ष 2015 में कुल 3263 किसानों ने आत्महत्या की थी. मात्र 2152 किसानों की आत्महत्या को पात्र किया गया. तथा 1081 किसानों की आत्महत्या को अपात्र किय गया, एवं आज भी 30 आत्महत्या की जाँच बाकि है. तथा कुल 2150 मृत किसान के परिवार वालों को सहायता राशी दी गई है. तक़रीबन 150 प्रतिशत आत्महत्या बढ़ा.
वर्ष 2016 में कुल 3080 किसानों ने आत्महत्या की थी. मात्र 1768 किसानों की आत्महत्या को पात्र किया गया. तथा 1292 किसानों की आत्महत्या को अपात्र किय गया, एवं आज भी 20 आत्महत्या की जाँच बाकि है. तथा कुल 1768 मृत किसान के परिवार वालों को सहायता राशी दी गई है. तक़रीबन 135 प्रतिशत आत्महत्या बढ़ा.
वर्ष 2017 में कुल 2917 किसानों ने आत्महत्या की थी. मात्र 1638 किसानों की आत्महत्या को पात्र किया गया. तथा 987 किसानों की आत्महत्या को अपात्र किय गया, एवं आज भी 292 आत्महत्या की जाँच बाकि है. तथा कुल 1611 मृत किसान के परिवार वालों को सहायता राशी दी गई है. तक़रीबन 125 प्रतिशत आत्महत्या बढ़ा.
वर्ष 2018 में कुल 2761 किसानों ने आत्महत्या की थी. मात्र 1330 किसानों की आत्महत्या को पात्र किया गया. तथा 1050 किसानों की आत्महत्या को अपात्र किय गया, एवं आज भी 381 आत्महत्या की जाँच बाकि है. तथा कुल 1316 मृत किसान के परिवार वालों को सहायता राशी दी गई है. तक़रीबन 115 प्रतिशत आत्महत्या बढ़ा.
आत्महत्या किये हुए पात्र किसान के परिवार वालो को सरकार सहायता के रूप एक लाख रूपये देती है, जिसमे 30 हजार रूपये नगद तथा 70 हजार रूपये पोस्ट/ बैंक में मासिक जमा किया जाता है.