कर्नाटक में क्या राहुल गांधी के पीछे-पीछे हैं बीजेपी के ‘शाह’ ?

0
460

#KarnatakaElection
Imraan Qureshi for BBC hindi
Pic Court: DNA

कर्नाटक की राजनीतिक पगडंडियों पर इन दिनों दिलचस्प तस्वीर दिखाई दे रही है. आगे-आगे राहुल गांधी और पीछे पीछे अमित शाह.

कर्नाटक विधानसभा के लिए 12 मई को वोट डाले जाएंगे. चुनाव अभियान के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी जिन क्षेत्रों में जा रहे हैं कुछ दिनों के बाद भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष अमित शाह भी वहीं नज़र आते हैं.

मैसूर और आसपास के ज़िलों के दौरे के बाद राहुल गांधी रविवार को यहां से रवाना हुए. अब शुक्रवार को उनके पीछे बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पुराने मैसूर क्षेत्र में पहुंच रहे हैं.

कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के लिए जब से प्रचार ने तेज़ी पकड़ी है तभी से अमित शाह तमाम उन इलाकों में पहुंच रहे हैं, जहां राहुल गांधी हाल में प्रचार कर चुके होते हैं.

इसकी शुरुआत हैदराबाद कर्नाटक इलाके (पूर्वोत्तर कर्नाटक) से हुई. इसके बाद बॉम्बे कर्नाटक (उत्तरी कर्नाटक) क्षेत्र में भी यही दिखा. तटीय और मध्य कर्नाटक में भी ऐसा ही हुआ.

बीजेपी प्रवक्ता डॉक्टर वमन आचार्य कहते हैं, “हम झाडू लेकर जा रहे हैं. जो आप गंदा करके जाते हैं वो हम साफ करते हैं.”

दौरे का मकसद
अमित शाह रामनगरम, चन्नपटना, मांड्या, मैसूर और चामराजनगर ज़िलों के दौरे के दौरान बूथ कमेटी के सदस्यों, दलित नेताओं, लकड़ी के खिलौने बनाने वाले उद्योंगों के सदस्यों और रेशम उत्पादकों से मिलेंगे.

लेकिन उनकी सबसे अहम मुलाक़ात सुत्तूर मठ के जगद्गुरु श्री शिवरात्रि देशिकेंद्र महास्वामी से होगी. इस मुलाक़ात को कई कारणों से अहम माना जा रहा है.

शाह उत्तर और मध्य कर्नाटक के दौरे के वक्त भी लिंगायत और वीरशैव लिंगायत स्वामियों से मुलाक़ात करते रहे हैं. इस मुलाक़ात का मकसद सिद्धारमैया सरकार की ओर से लिंगायत समुदाय को ‘अल्पसंख्यक’ दर्जा दिए जाने को लेकर उनकी राय जानना रहा है.

लिंगायत समुदाय बीजेपी का वोट बैंक रहा है. इसकी बड़ी वजह पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद के दावेदार बीएस येदियुरप्पा हैं. ऐसे में लिंगायत समुदाय को अल्पसंख्यक दर्जा दिए जाने की सिफारिश ने अन्य किसी भी दल के मुक़ाबले बीजेपी के नेताओं को ज़्यादा परेशान किया है.

इसे मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का लिंगायत समुदाय पर बीजेपी के प्रभुत्व में सेंध लगाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.

मठ का मत
सुत्तूर मठ के स्वामी से अमित शाह की मुलाक़ात इस वजह से भी अहम है कि जब वो दो दिन पहले मध्य कर्नाटक में लिंगायत मठ के एक अन्य शक्तिशाली प्रमुख से मिले थे तो उन्होंने शाह को एक ज्ञापन थमा दिया था.

श्री मुरुगराजेंद्र मठ के प्रमुख जगद्गुरु डॉक्टर शिवमूर्ति मुरुगा शरनारु ने आधिकारिक तौर पर कहा कि उन्होंने शाह से अनुरोध किया है कि वो केंद्र सरकार से कहें कि वो सिद्धारमैया सरकार की सिफारिश को मंजूर करे.

लिंगायत समुदाय और राजनीति पर करीबी नज़र रखने वाली प्रीति नागराज का कहना है, “मुरुगराजेंद्र मठ हमेशा मानता है कि लिंगायत और वीरशैव लिंगायत अलग हैं. ये कोई नई बात नहीं है. ये मठ लंबे समय से यही मानता रहा है.”

इस मुद्दे पर सुत्तूर मठ के रुख को लेकर वो कहती हैं, “मठ के रुख के बारे में किसी को जानकारी नहीं है. उन्होंने इस मुद्दे पर एक दूरी बनाए रखी है. वो लिंगायत मठ में से अधिकांश की राय के मुताबिक भी जा सकते हैं और उनसे अलग राय भी रख सकते हैं.”

वो मानती हैं कि अमित शाह का मठ का दौरा एक ‘शिष्टाचार भेंट’ भर साबित हो सकता है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here