झाड़ू-पोछा करने वाली प्रेम लता (30) वर्ष जब रविवार को काम से लौटी तो पिता की तबियत सही नहीं थी। उसके पास पैसे भी नहीं थे कि वो अपने पिता के लिए दवा ला सके। आखिरकार दर्द से तड़पते पिता रामकुमार गुप्ता (55) की बेटी के सामने ही मौत हो गयी। बेटी ने परिजनों को सूचना दी पर कोई नहीं आया। मायूस बेटी शव को चादर से लपेट कर रात भर कमरे में बैठी रही।
सुबह परेशान बेटी की व्यथा किसी ने काशी के अमन कबीर को बताई तो फ़ौरन अमन पांडेयपुर स्थित घर पहुंचे। अमन ने बताया कि वहां पहुंचा तो देखा कि रामकुमार गुप्ता जी के शव में चीटियां लग चुकी हैं। इसपर तुरंत दाह-संस्कार के लिए एक पोस्ट अपने फेसबुक अकाउंट पर किया। इसके बाद दिल्ली के एक मित्र और कई लोगों ने कुछ आर्थिक मदद की। इसके बाद रामकुमार की अंतिम यात्रा निकाली गयी। इसमें बेटी प्रेम लता ने भी कंधा दिया और मणिकर्णिका घाट पर शव का अंतिम संस्कार किया गया। मुखाग्नि बेटी प्रेम लता ने दी।
*दीपक साहनी/ वाराणसी*