फोन .. मुलाकात .. फिर लंचबॉक्स .. ऐसे जवां हुई ‘सियासत’ की मोहब्बत ..

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Dr. Buddhsen Kashyap, Senior Editor, TRP
2019 का लोकसभा चुनाव जीतना है तो पुरानी बातें भूलनी होगी और नये सिरे से रिश्ता बनाना होगा. यह मानना है समाजवादी पार्टी के मुखिया और उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का. गोरखपुर और फूलपुर के लिए हुए लोकसभा उपचुनाव में मिली बड़ी जीत से उत्साहित अखिलेश यादव ने कहा कि उनकी पार्टी बहुजन समाज पार्टी के साथ मिलकर लोकसभा का अगला चुनाव लड़ेगी. एक हिन्दी न्यूज चैनल से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि इस बाबत दोनों के बीच सहमति बन गयी है. सपा प्रमुख के मुताबिक मायावती से पहले बैक चैनल के जरिये संपर्क हुआ. उसके बाद फोन पर बातचीत हुई और फिर यह सिलसिला चल पड़ा. दुआ-सलाम से बात आगे बढ़ी. फिर कांग्रेस के निमंत्रण पर दिल्ली पहुंचे और वहां दोनों न केवल साथ बैठे बल्कि लंच भी साथ ही किया. वहां खूब बातें हुईं. बातचीत के दौरान दोनों ने एक-दूसरे के बारे में जानकारियां शेयर कीं. कहा गया कि दोनों ही पार्टियों के नेता, कार्यकर्ता और मतदाता सपा-बसपा गठबंधन के पक्ष में हैं. 25 साल पहले हुए लखनऊ गेस्ट कांड के बाद बसपा और सपा के बीच कड़वाहट आ गयी थी. लेकिन, अब वह बात नहीं रही और गठबंधन की मजबूती के लिए पिछले इतिहास को भूलने में ही भलाई है. लखनऊ गेस्ट हाउस कांड 2 जून 1995 को हुआ था. उस समय मायावती ने मुलायम सिंह यादव पर हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया था और फिर दोनों पार्टियों के बीच रिश्ते कड़वे हो गये थे. इसका लाभ भारतीय जनता पार्टी को मिला और 2014 के लोकसभा और 2017 के विधान सभा चुनाव में बसपा और सपा को करारी हार मिली. आगे इस तरह की हार न हो इसके लिए दोनों दलों ने कड़वी यादों को भुलाना ही बेहतर समझा. देखना यह है कि यह दोस्ती कितना कामयाब होती है.

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