पंजाब में प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक का मामला

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Trp news. 10/1/2022.

आज सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई में CJI ने कहा आज सुबह 10 बजे ही सुरक्षा से जुड़े दस्तावेज हमे मिले है।

पंजाब सरकार के एडवोकेट डी एस पटवालिया ने कहा कि केंद्र सरकार जांच के नाम पर हमारे सात अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। साथ ही हमारे 24 अधिकारियों व कर्मचारियों से पूछताछ की जा रही है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इसपर रोक लगाई हुई है।

पटवालिया ने कहा उनको धमकाया जा रहा है कि क्यों न उनके खिलाफ कार्यवाई की जाए। उन्होंने कहा कि इस मामले में यदि हमारे अधिकारी दोषी पाए जाएं तो कार्रवाई की जाए,लेकिन बिना जांच के नही। प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुई चूक को लेकर हम भी गंभीर है।

वही केंद्र की तरफ से SG तुसार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को SPG कार्यप्रणाली का ब्योरा देते हुए कानून के विभिन्न प्रावधानों के बारे में बताया जिसमे यह बताया गया कि SPG और स्टेट पुलिस प्रमुख के तालमेल से प्रधानमंत्री की सुरक्षा रखी जाती है। साथ ही SG ने प्रधानमंत्री के सुरक्षा को लेकर SPG Act और SPG सुरक्षा के ब्लू बुक में सुरक्षा से जुड़ी जानकारी भी दी।
उन्होंने कोर्ट को बताया कि इसमें इंटेलीजेंस डायरेक्टर और CID समेत कई विभागों के इनपुट का होता है।

खास कर जब प्रधानमंत्री पब्लिक पैलेस या खुले में आयोजित कार्यकमो मे शामिल हों।

SG ने कोर्ट को बताया कि खुफिया/सुरक्षा के IGP खुफिया जानकारी में चूक के लिए जिम्मेदार होगा।
उन्होंने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा की प्रक्रिया के पालन में गड़बड़ हुई है।

ब्लू बुक में यह साफ लिखा है कि सुरक्षा का इंतजाम राज्य पुलिस महानिदेशक की देखरेख में स्थानीय पुलिस करती है। SG ने कहा कि इस तथ्य पर कोई विवाद नहीं हो सकता कि सुरक्षा में चूक और लापरवाही हुई। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की कार के फ्लाईओवर तक पहुंचने से पहले तक कोई सूचना नहीं थी की फ्लाईओवर पर भारी संख्या में लोग मौजूद हैं।
सुबह से ही भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी। इसकी जानकारी DGP को देनी चाहिए थी। फिर भी उनकी तरफ से कोई इनपुट नहीं मिला। जबकि यह एक निर्धारित यात्रा थी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को 5 तारीख को हवाई यात्रा तय थी। राज्य की सभी एजेंसियों को बताया गया कि मौसम की समस्या हो सकती हैं और प्रधानमंत्री सड़क से भी यात्रा करेंगे। इसकी रिहर्सल भी हुई थी।

इस मामले में जस्टिस हिमा कोहली ने SG से पूछा कि अगर केंद्र ने इस मामले पर सब कुछ तय कर दिया है तो यह मामला हमारे सामने क्यों है? SG ने कहा कि यह मामला कोर्ट में याचिका दाखिल करने की वजह से आया है।

वही जस्टिस सूर्यकांत ने भी SG से पूछा याचिकाकर्ता और पंजाब सरकार निष्पक्ष जांच चाहते हैं? आप इसके आड़े क्यों आना चाह रहे हैं?

SG ने जवाब में कहा इस मामले में जो भी कार्यवाई नोटिस के रूप में हुई वह नियमों के मुताबिक ही भेजा गया है।

इसके बाद CJI ने कहा कि हमने प्रधानमंत्री की सुरक्षा के मामले को गंभीरता से लिया है।
CJI ने SG से पूछा अगर आप अनुशानात्मक कार्रवाई करना चाहते हैं तो कोर्ट की तरफ से जांच कमेटी बनाने का क्या कोई औचित्य होगा?
फिर कमिटी क्या काम करेगी?

SG ने CJI ने कहा कि कोर्ट हमारे कमिटी की रिपोर्ट की समीक्षा करे।

इसपर CJI ने कहा तो पंजाब सरकार की कमिटी को भी अपना काम करने देते हैं?
SG ने इसपर ऐतराज जताते हुए कहा पंजाब कमिटी में दिक्कतें हैं आगे जस्टिस हिमा कोहली ने केंद्र सरकार से कहा कि आपकी दलीलें बताती हैं कि आप सब कुछ पहले से ही तय कर चुके हैं,तो फिर यहां इस कोर्ट में क्यों आए हैं?

जस्टिस कोहली ने पूछा कि जब शुक्रवार को हमने कार्रवाई रोकने को कहा था तो आपने किस आधार पर अधिकारियों को नोटिस भेजा?

SG ने जस्टिस कोहली के सवाल पर जवाब देते हुए कहा कि नोटिस तो सुनवाई से पहले ही भेजा जा चुका था। सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुई चूक के मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज की अध्यक्षता मे समिति गठित करने का निर्देश दिया।

इस कमेटी में चंडीगढ़ के DGP , पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल, NIA के अधिकारी और पंजाब सरकार के एक सीनियर पुलिस अधिकारी भी शामिल होंगे।
सुप्रीम कोर्ट जांच समिति के अध्यक्ष और अन्य अधिकारियों के नाम विस्तृत आदेश में जारी करेंगे।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति के कोर्ट में जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने तक, इस मामले पर केंद्र और पंजाब सरकार द्वारा गठित समितिया अपनी कोई कार्यवाही नहीं करेंगी। अदालत अपने विस्तृत आदेश में सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश और अन्य अधिकारियों के नाम तय करेगा। जस्टिस सूर्यकांत ने केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री की सुरक्षा के चूक की जांच के लिए बनाई गई समिति के द्वारा जारी किए गए नोटिस पर कहा कि आपका नोटिस अपने आप में विरोधाभासी है क्योंकि हमनेकेंद्र और राज्य दोनों को किसी प्रकार की कार्यवाई नहीं करने को कहा था।

उन्होंने कहा एक तरफ आप नोटिस भेज रहे हैं और दूसरी तरफ यहां उनको दोषी भी बता रहे हैं। यह सब क्या तरीका है?
हो सकता है जांच के बाद आपकी चीजे सही हो सकती है लेकिन अभी आप यह सब कैसे कह सकते हैं?

वही CJI ने भी केंद्र के द्वारा की गई कार्यवाई पर असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि जब आप अनुशासनात्मक और दंडात्मक कार्रवाई की शुरुआत कर चुके हैं तो आप हमसे अब कैसा आदेश चाह रहे है?

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