18 लाख करोड़ से ज्यादा मार्केट में .. लेकिन एटीएम खाली .. क्यों ?

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pic Court: indian Express
बिहार, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना,महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में स्थिति ज़्यादा गंभीर बताई जा रही है.

रिज़र्व बैंक की हालिया रिपोर्ट भी कहती है कि सिस्टम में पर्याप्त मात्रा में कैश है. भारतीय रिज़र्व बैंक की 6 अप्रैल की रिपोर्ट के मुताबिक 18.17 लाख करोड़ रुपये सर्कुलेशन में थे.

रिज़र्व बैंक का कहना है कि अभी जितनी नकदी सर्कुलेशन में है वो नोटबंदी के दौर से भी ज़्यादा है.

तो सवाल उठता है कि सर्कुलेशन में पर्याप्त मात्रा में नकदी होने के बावजूद एटीएम में कैश क्यों नहीं है. क्या कुछ लोग बड़ी संख्या में नकदी की जमाखोरी कर रहे हैं. मतलब उन्होंने बैंकों से पैसा निकाल तो लिया है, लेकिन फिर इसे सिस्टम में बनाए रखने के बजाय अपने पास रोक लिया है. या फिर बैंकों के पास करेंसी नोट्स की कमी है और मशीनों से नोटों की छपाई कम हो रही है.

बैंकिंग एक्सपर्ट मानते हैं कि सिस्टम में कैश की कमी होने की कई वजहें हो सकती हैं.
दो हज़ार के नोट की जमाखोरी
8 नवंबर 2016 को 500 और 1000 रुपये की नोटबंदी की घोषणा के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2000 रुपये के नए नोट लाने का ऐलान भी किया था. तो क्या कुछ लोग 2000 रुपये के नोटों की जमाखोरी करने लगे हैं.
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आरोप लगाया है कि 2000 रुपये के नोटों को बाज़ार से ग़ायब करने की साजिश रची जा रही है.

शिवराज ने सोमवार को कहा, “नोटबंदी से पहले डेढ़ लाख करोड़ रुपये की करेंसी सर्कुलेशन में थी, और इसके बाद इसे बढ़ाकर साढ़े 16 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया, लेकिन 2000 रुपये के नोट मार्केट से ग़ायब हो रहे हैं.”

इतना तो तय है कि जितना पैसा लोग बैंकों से निकाल रहे हैं, उतना फिर बैंकिंग सिस्टम में वापस नहीं आ रहा है, मतलब लोग पैसा रोककर रख रहे हैं.”
एफ़आरडीआई बिल का डर
पिछले दिनों सोशल मीडिया पर इस बात की भी चर्चा रही कि फ़ाइनेंशियल रिजॉल्यूशन एंड डिपॉज़िट इंश्योरेंस (एफ़आरडीआई) बिल के आने के बाद बैंकों में जमा उनकी रकम की गारंटी नहीं है.

विजय माल्या के स्टेट बैंक को करीब 10 हज़ार करोड़ की चपत लगाने, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी के पंजाब नेशनल बैंक में 13 हज़ार करोड़ रुपये से अधिक का घोटाला करने, आईसीआईआई बैंक में भी हज़ारों करोड़ के डूबते कर्ज़ की ख़बरों से आम लोगों का बैंकिंग सिस्टम पर भरोसा डिगा है.

इन्हीं ख़बरों ने ग्राहकों के बीच एफ़आरडीआई का डर और बढ़ा दिया है. बिल में प्रावधान किया गया है कि अगर कोई बैंक किसी कारणवश वित्तीय संकट में फंस जाता है या फिर दिवालिया हो जाता है तो इसे जमाकर्ताओं के पैसे से उबारा जा सकता है.

हां, सरकार खाताधारक को कम से कम एक लाख रुपये लौटाने की गारंटी दे रही है. यानी अगर बैंक में आपका 5 लाख रुपये जमा है और बैंक दिवालिया हो जाता है तो आपको इस सूरत में बैंक सिर्फ़ एक लाख रुपये लौटाने की ही गारंटी देता है.

हालांकि “ये ठीक है कि पिछले कुछ समय में कई बड़े बैंक घोटाले सामने आए हैं, लेकिन भारतीय बैंकिंग व्यवस्था में काफ़ी मजबूती है ये 2008 की मंदी के दौरान भी मजबूती से खड़े रहे थे.”

लेकिन लगातार सामने आ रहे बैंकिंग घोटालों से मोदी सरकार भी परेशान है और समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि संसदीय समिति ने 17 मई को रिज़र्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल को तलब किया है. वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली इस समिति में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी सदस्य हैं. समिति बैंकिंग घोटालों और फाइनेंशियल सेक्टर में कमियों पर गवर्नर से सवाल करेगी.

कैलिब्रेट की समस्या
इसके अलावा समस्या का एक कारण यह भी है कि 200 के नोट के लिए एटीएम तैयार नहीं हैं. अभी तक महज 30 फ़ीसदी एटीएम ही 200 रुपये को लेकर कैलीब्रेट हो सके हैं. यानी 70 फीसदी एटीएम 200 का नोट देने में सक्षम ही नहीं हैं. इतना ही नहीं, पिछले दिनों आई आरबीआई की रिपोर्ट में ये भी सामने आया था कि देश में औसतन 30 फ़ीसदी एटीएम किसी न किसी वजह से खराब रहते हैं.

संकट का अंदाज़ा सरकार को भी है, इसीलिए डैमेज कंट्रोल की कोशिशें भी शुरू हो गई हैं. आर्थिक मामलों के सचिव एससी गर्ग ने मंगलवार को कहा, “देश में 18 लाख करोड़ रुपए की करंसी सर्कुलेशन में है, अभी भी हम ढाई-तीन लाख करोड़ करंसी स्टॉक में रखते हैं, ये देश में नकदी की किसी भी समस्या का सामना करने के लिए पर्याप्त है. जहां से जैसी मांग आई, वहां वैसी ही आपूर्ति की गई. करेंसी प्रिंटिंग का काम भी बढ़ा दिया गया है.”

डिपॉज़िट ग्रोथ में कमी
बैंकिंग सेक्टर के आंकड़े कहते हैं कि बैंक से पैसा निकालने की रफ़्तार जमा करने से अधिक रही है. मार्च 2018 को खत्म हुए वित्तीय वर्ष में बैंक में डिपॉज़िट ग्रोत 6.7 प्रतिशत रही, जबकि पिछले साल यानी 2016-17 की इसी अवधि के दौरान ये 15.3 प्रतिशत थी.

जहाँ तक बैंक की क्रेडिट ग्रोथ का सवाल है तो ये 2017-18 में 10.3 प्रतिशत रही, जबकि 2016-17 के दौरान ये 8.2 प्रतिशत पर थी.
Facts First Published On BBC

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