भारत के प्रधान न्यायाधीश पर ‘महाभियोग’ प्रस्ताव के 5 आरोप पढ़िए ..

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Team TRP
भारत के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष ने उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू को नोटिस सौंप दिया है. विपक्ष ने 5 बिंदुओं को आधार बनाते हुए सीजेआई के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव तैयार किया है.
इस प्रस्ताव पर सात राजनीतिक दलों के 71 सांसदों ने दस्तख़त भी कर दिए हैं. आइए जानते हैं कि भारत के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को हटाने के लिए विपक्ष ने किन 5 कारणों को आधार बनाया…

POINT NUMBER 1 (खराब आचरण का आरोप)

-विपक्ष ने सीजेआई के खिलाफ पहला आरोप खराब आचरण का लगाया है. कांग्रेस का आरोप है कि सीजेआई दीपक मिश्रा का व्यवहार उनके पद के मुताबिक नहीं है. कई मामलों में वो सुप्रीम कोर्ट के बाकी जजों की राय नहीं लेते. उन्होंने कई मामलों में संवैधानिक आदर्शों का उल्लंघन किया.

POINT NUMBER 2 (प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट से फायदा उठाना)

– विपक्ष ने सीजेआई पर दूसरा आरोप प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट से फायदा उठाने का लगाया है. विपक्ष का आरोप है कि सीजेआई दीपक मिश्रा ने इस मामले में दाखिल सभी याचिकाओं को प्रशासनिक और न्यायिक परिपेक्ष्य में प्रभावित किया. क्योंकि, वह प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई करने वाली बेंच की अगुवाई कर रहे थे. ऐसा करके उन्होंने जजों के आचार संहिता (code of conduct) और आदर्शों की अवहेलना की.

POINT NUMBER 3 (रोस्टर में मनमाने तरीके से बदलाव)

-विपक्ष ने सीजेआई दीपक मिश्रा पर सुप्रीम कोर्ट के रोस्टर में मनमाने तरीके से बदलाव करने का आरोप लगाया है. विपक्ष का कहना है कि सीजेआई ने कई अहम केसों को दूसरे बेंच से बिना कोई वाजिब कारण बताए दूसरे बेंच में शिफ्ट कर दिया. कई अहम मामले जो दूसरी बेंच में विचाराधीन थे, ‘मास्टर ऑफ रोस्टर’ के तहत सीजेआई ने उन मामलों को भी अपनी बेंच में ट्रांसफर कर लिया.

POINT NUMBER 4 (अहम केसों के बंटवारे में भेदभाव का आरोप)

-विपक्ष ने सीजेआई दीपक मिश्रा पर अहम केसों के बंटवारे में भेदभाव का आरोप भी लगाया है. दरअसल, सीबीआई स्पेशल कोर्ट के जज बीएच लोया का केस सीजेआई ने सीनियर जजों के होते हुए जूनियर जज अरुण मिश्रा की बेंच को दे दिया था. जनवरी में सुप्रीम कोर्ट के चार सीनियर जजों ने जब न्यायिक व्यवस्था को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी, तब इस मामले को प्रमुखता से उठाया भी था.

POINT NUMBER 5 (जमीन अधिग्रहण का आरोप)

-विपक्ष ने सीजेआई पर पांचवा आरोप जमीन अधिग्रहण का लगाया है. विपक्ष के मुताबिक, जस्टिस दीपक मिश्रा ने 1985 में एडवोकेट रहते हुए फर्जी एफिडेविट दिखाकर जमीन का अधिग्रहण किया था. एडीएम के आवंटन रद्द करने के बावजूद ऐसा किया गया था. हालांकि, साल 2012 में सुप्रीम कोर्ट पहुंचने के बाद उन्होंने जमीन सरेंडर कर दी थी.

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