बीजेपी में अपने ‘शत्रु’ क्यों बना रहे हैं सिन्हा ?

0
378

TRP
बिहार में आयोजित एक ख़ास कार्यक्रम में भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने आख़िर भाजपा का साथ छोड़ने की औपचारिक घोषणा कर दी. इस मौक़े पर उनका समर्थन करने पहुंचे भाजपा से नाराज़ चल रहे शत्रुघ्न सिन्हा.

राष्ट्र मंच के इस कार्यक्रम में शत्रुघ्न सिन्हा ने मंच संभाला तो यशवंत का जमकर समर्थन किया. उन्होंने कहा कि पार्टी के ख़िलाफ उनका और यशवंत का बोलना “पार्टी के ख़िलाफ़ नहीं है बल्कि देश के हित में हैं क्योंकि व्यक्ति से बड़ा देशहित होता है.” इस मंच से उन्होंने आरजेडी सदस्य और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की तारीफों के भी पुल बांध दिए.

लेकिन इन सबके बावजूद ना तो शत्रुघ्न भाजपा का दामन छोड़ रहे हैं और ना ही भाजपा उनके ख़िलाफ़ कोई कदम उठा रही है. और तो और कांग्रेस, राजद या किसी और पार्टी ने भी खुल कर उनको अपनी पार्टी में आने का न्योता नहीं दिया है.

‘मोदी विरोध में यशवंत सिन्हा की दिक़्क़तें नहीं छुप पाईं’

राष्ट्र मंच ने नहीं पेश किया ‘राष्ट्र बचाने’ का कोई कार्यक्रम

‘अपना ही नुक़सान कर रहे हैं शत्रुघ्न’

भाजपा के प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल कहते हैं, “आपसे उम्मीद की जाती है कि आप पार्टी के मंच पर अपनी बातें रखेंगे लेकिन जब आप अन्य मंच से मुद्दे उठाते हैं आपका खुद का महत्व ही कम होता है.”

लोकसभा चुनाव अब नज़दीक हैं और हर पार्टी इसके लिए तैयारी में भी जुट गई है. लेकिन क्या शत्रुघ्न के लगातार विरोध के कारण विपक्षी पार्टियां उनका फायदा नहीं लेंगी. इस पर गोपाल कृष्ण कहते हैं, “ऐसा होता तो क्या विपक्षी पार्टियां अब तक उनसे फायदा ना ले चुकी होतीं?”

“पार्टी के भीतर एक ढांचा होता है जिसका पालन करना ज़रूरी होता है. पार्टी को सब चीज़ों का ध्यान देखना होता है और वो सिर्फ एक ही व्यक्ति की शिकायतें नहीं सुनती रह सकती. लेकिन ये उम्मीद करना कि पार्टी उनकी बातें ही स्वीकार कर लेगी ये सही नहीं है.”

“उन्हें ना तो पार्टी में ही जगह मिल रही है ना ही बाहर उन्हें कोई जगह मिल रही है. वो फ्रस्ट्रेशन में हैं.”

‘उन्हें जानबूझ कर इग्नोर कर रही है भाजपा’

‘हो सकता है अगली बार इंडिपेन्डेंट लड़ें’

बिहार में मौजूद वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार कहते हैं कि “आप उनसे सवाल करेंगे कि वो जब देखो तब विपक्षी पार्टियों के साथ क्यों खड़े हो जाते हैं तो वो आपसे कहेंगे कि दूसरे नेताओं के साथ उनके आपसी संबंध हैं. लेकिन मुझे लगता है कि ये स्थिति पूरी तरह से घालमेल की तरह है और वो पार्टी पर दवाब बना कर रखते हैं कि इधर नहीं तो हम उधर भी जा सकते हैं.”

“शत्रुघ्न अपने लिए एक विकल्प ले कर चल रहे हैं. लेकिन पार्टी का नेतृत्व इससे कितना डरता है ये अलग बात है.”

वो कहते हैं “भाजपा और शत्रुघ्न के बीच दूरी अब काफी बढ़ गई है. इस बार ये आम चर्चा है कि भाजपा उनको अगली बार टिकट नहीं देने वाली है. लेकिन मुझे नहीं लगता कि कोई और पार्टी भी उन्हें न्योता देने वाली है.”

“लेकिन ये बात भी है कि कई लोग हैं जो बिहार के नेता की उनकी छवि को पसंद करते हैं. हो सकता है कि ये उनके काम आए.”

राष्ट्र मंच के मंच से शत्रुघ्न ने क्या कहा?
शत्रुघ्न ने तेजस्वी को “अपने घर (बिहार) का बच्चा”, “योग्य पिता का योग्य बेटा” और “बिहार का इकलौता और अकेला चेहरा” और जीएसटी और नोटबंदी को लेकर तेजस्वी यादव की आलोचना का समर्थन भी किया.

रात के 12 बजे जीएसटी कार्यक्रम की शुरुआत पर उन्होंने पर कहा कि “वन नेशन वन टैक्स करते-करते कहीं वन नेशन सेवेन टैक्स और फिर वन नेशन चालीस टैक्स ना कर दें- ये तो अली बाबा चलीस चोर की सरकार है”.

उन्होंने उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों, दिल्ली में हुए चुनावों, गुजरात विधानसभा चुनावों में नहीं बुलाने पर नाराज़गी जताई और कहा कि मैंने मर्यादा का पालन किया और चुप रहा.

उन्होंने कहा “भाजपा ने बिहार चुनाव में चालीस-चालीस स्टार कैंपेनर को बुलाया लेकिन बिहारी बाबू को नहीं बुलाया और भाजपा को इस फ़ैसले का नतीजा मिल गया.”

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here