कश्मीर पर जो पाकिस्तानी क्रिकेट आज बयान दे रहे हैं, वे सब वही हैं जो कभी भारत के खिलाफ खेल चुके हैं, जिन्हें भारतीय क्रिकेट प्रेमी बेहतर जानते हैं। पाकिस्तान के नये खिलाड़ियों को आज के भारतीय क्रिकेट प्रेमी नहीं जानते। न आईपीएल में उन्हें मौका मिलता और न ही एक-दूसरे के ख़िलाफ़ ये खेलते हैं। विश्वकप में जरूर खेलेंगे। तब दोनों देशों के क्रिकेट प्रेमी एक-दूसरे के खिलाड़ियों को जान पाएंगे।
भारत में सचिन तेंदुलकर होते हैं तो पाकिस्तान में इंजमामुल हक, भारत में विराट कोहली हैं तो पाकिस्तान में तैमूर। यानी तुलना हर समय होती रही है। इस तुलना में स्पर्धा का रंग रहा है। दोनों देशों को अपने-अपने क्रिकेट आईकॉन बहुत प्रिय रहे हैं। ये आईकॉन जब कश्मीर में उनकी भावना से जुड़ जाते हैं तो बहुत बड़े हो जाते हैं। यही वजह है कि पाकिस्तानी खिलाड़ी कभी शोएब अख्तर तो कभी शाहिद अफरीदी कश्मीर पर बयान देते रहते हैं। नये खिलाड़ियों को न इसकी अहमियत पता है और न ही वे कश्मीर और क्रिकेट के संबंध को समझते हैं। पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेटरों को कश्मीर से अलग क्रिकेट को देखने की आदत डालनी होगी। तभी वे क्रिकेट का भला कर सकेंगे। कश्मीर की वजह से पाकिस्तान की क्रिकेट का बहुत नुकसान हुआ है। खेल और कूटनीति को एक तराजू पर तौलने की नीति ने दोनों देशों में क्रिकेट को नुकसान पहुंचाया है। ये बात अलग है कि पाकिस्तान को ज्यादा नुकसान हुआ है और भारत को कम।” First Published on UCNewsapp.
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