इन खेलों का उद्घाटन समारोह चार अप्रैल को और समापन समारोह 15 अप्रैल को होगा.
इसमें 71 देशों के खिलाड़ी 19 खेलों की 275 स्पर्धाओं में अपना दमख़म दिखाएंगे.
राष्ट्रमंडल खेलों का इतिहास
राष्ट्रमंडल खेलों की शुरुआत साल 1930 से हुई. तब इनका नाम ब्रिटिश एम्पायर गेम्स था. इन खेलों की मेज़बानी कनाडा के शहर हेमिल्टन ने की थी.
11 देशों के 400 एथलीटों ने 6 खेलों की 59 स्पर्धाओं में हिस्सा लिया था.
इंग्लैंड ने पहले ही राष्ट्रमंडल खेलों में 25 स्वर्ण, 23 रजत और 13 कांस्य पदक सहित 61 पदक के साथ पदक तालिका में शीर्ष स्थान बनाया.
पहले राष्ट्रमंडल खेलों में तैराकी, एथलेटिक्स, मुक्केबाज़ी, लॉन बॉल, रोइंग और कुश्ती शामिल थी.
ब्रिटिश झंडे के नीचे खेला भारत
भारत ने अगले ही राष्ट्रमंडल खेलों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई.
दूसरे राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन साल 1934 में इंग्लैंड के शहर लंदन में हुआ
हालांकि, भारत ब्रिटिश झंडे के नीचे खेला क्योंकि तब भारत में अंग्रेज़ों का शासन था.
भारत ने केवल दो स्पर्धाओं कुश्ती और एथलेटिक्स में हिस्सा लिया.
17 देशों के बीच भारत ने एक कांस्य पदक के साथ अपना खाता खोला और वह 12वें यानी अंतिम पायदान पर रहा.
भारत को कुश्ती में 74 किलो भार वर्ग में राशिद अनवर ने कांस्य पदक दिलाया.
1938 में तीसरे राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में हुआ.
भारत को इस बार कोई पदक नहीं मिला.
साल 1950 में चौथे राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन न्यूज़ीलैंड के ऑकलैंड शहर में हुआ.
मेज़बान सहित 12 देशों के बीच भारत इसका हिस्सा नहीं था.
आज़ादी के बाद पहली बार अलग-अलग उतरे भारत-पाकिस्तान
साल 1954 में पांचवें राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन कनाडा में हुआ.
भारत आज़ादी के बाद पहली बार इन खेलों में अपने राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के नीचे उतरा.
24 देशों के बीच भारत को पदक तालिका में कोई जगह नसीब नहीं हुई.
कमाल की बात है कि भारत के साथ ही आज़ाद हुए पाकिस्तान ने इन खेलों में अपना दमख़म दिखाते हुए एक स्वर्ण, तीन रजत और दो कांस्य पदक सहित छह पदक जीते.
साल 1958 में छठे राष्ट्रमंडल खेलों का मेला कार्डिफ वेल्स में लगा.
भारत ने कार्डिफ में दो स्वर्ण और एक रजत पदक जीता.
फ़्लाइंग सिख के नाम से मशहूर भारत के एथलीट मिल्खा सिंह ने 440 मीटर दौड में स्वर्ण पदक जीता.
यह वह दौर था जब मिल्खा सिंह पूरी दुनिया में अपना लोहा मनवा रहे थे.
आज तक भारत का कोई एथलीट यह कारनामा दोहरा नहीं सका है.
दूसरा स्वर्ण पदक हैवीवेट वर्ग में उतरने वाले पहलवान लीला राम ने जीता.
इसके बाद साल 1962 में सांतवें राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन ऑस्ट्रेलिया में हुआ.
भारत इन खेलों का हिस्सा नहीं बना.
महाभारत के ‘भीम’ ने जीता पदक
साल 1966 में आठवें राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन पहली बार कैरेबियाई देश किंग्सटन जमैका में हुआ.
भारत ने 10 पदक अपने नाम किए. इनमें तीन स्वर्ण, चार रजत और तीन कांस्य पदक शामिल हैं.
बैडमिंटन को पहली बार शामिल किया गया और दिनेश खन्ना कांस्य पदक जीतने में कामयाब रहे.
प्रवीण कुमार ने हैमर थ्रो में रजत पदक जीता.
यही, प्रवीण कुमार बाद में लोकप्रिय हिंदी धारावाहिक महाभारत के भीम के रूप में बेहद लोकप्रिय कलाकार भी साबित हुए.
साल 1970 में नौवें राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन एडिनबरा स्कॉटलैंड में हुआ.
भारत ने पांच स्वर्ण, तीन रजत और चार कांस्य पदक सहित 12 पदक जीते.
पहलवानों का दबदबा
साल 1974 में 10वें राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन न्यूज़ीलैंड में हुआ.
भारत ने यहां चार स्वर्ण, आठ रजत और तीन कांस्य पदक सहित 15 पदक जीते.
भारत के चारों स्वर्ण पदक कुश्ती में रहे. इतना ही नहीं पहलवानों के नाम 15 में से 10 पदक रहे.
सुशील कुमार और योगेश्वर दत्त के गुरु सतपाल ने यहां रजत पदक जीता.
साल 1978 में 11वें राष्ट्रमंडल खेलों का कारवां कनाडा जा पहुंचा.
भारत ने पांच स्वर्ण, पांच रजत और पांच कांस्य पदक सहित 15 पदक अपने नाम किए.
पहलवानों के दबदबे के बीच प्रकाश पाडुकोण ने बैडमिंटन और एकाम्बाराम करूणाकरण ने वेटलिफ्टिंग में स्वर्ण पदक जीता.
12वें राष्ट्रमंडल खेल साल 1982 में ऑस्ट्रेलिया में आयोजित हुए.
भारत ने पांच स्वर्ण, आठ रजत और तीन कांस्य पदक सहित 16 पदक जीते.
13वें राष्ट्रमंडल खेल साल 1986 में स्कॉटलैंड में हुए.
भारत ने इस बार इन खेलों में भाग नहीं लिया.
कुश्ती नहीं तो वेटलिफ्टिंग में चमके
साल 1990 में भारत 14वें राष्ट्रमंडल खेलों में एक बार फिर वापस लौटा.
न्यूज़ीलैंड में हुए इन खेलों में भारत ने अपना दमख़म दिखाते हुए 13 स्वर्ण, 8 रजत और 11 कांस्य पदक सहित 32 पदक अपने नाम कर डाले.
कुश्ती इन खेलों का हिस्सा नहीं था.
वेटलिफ्टिंग में भारत ने 13 में से 12 स्वर्ण पदक जीते. इसके अलावा इकलौता स्वर्ण पदक निशानेबाज़ी में अशोक पंडित ने जीता.
इसके बाद 15वें राष्ट्रमंडल खेल 1994 में कनाडा में आयोजित हुए.
अब भारत के पदक पिछली बार के 32 के मुक़ाबले 24 रह गए.
भारत के हाथ 6 स्वर्ण, 11 रजत और 7 कांस्य पदक लगे.
16वें राष्ट्रमंडल खेल साल 1998 में पहली बार क्वालालम्पुर (मलेशिया) में जा पहुंचे.
69 देशों के बीच भारत 25 पदकों के साथ आठवें पायदान पर रहा.
इनमें सात स्वर्ण, दस रजत और आठ कांस्य पदक शामिल हैं.
नई सदी में पदकों में लंबी छलांग
साल 2002 में 17वें राष्ट्रमंडल खेल इंग्लैंड लौटे.
भारत ने इस बार पदक तालिका में लम्बी छलांग लगाते हुए 69 पदकों के साथ चौथा स्थान हासिल किया.
30 स्वर्ण, 22 रजत और 17 कांस्य पदक कामयाबी की दास्तान सुना रहे थे.
साल 2006 में 18वें राष्ट्रमंडल खेलों का मेज़बान बना ऑस्ट्रेलिया.
भारत इस बार 50 पदकों पर सिमटा. उसके खाते में 22 स्वर्ण, 17 रजत और 11 कांस्य पदक रहे.
जब दिल्ली बना मेज़बान
साल 2010 में हुए 19वें राष्ट्रमंडल खेलों की मेज़ाबानी का बीड़ा भारत ने उठाया.
भारतीय खिलाड़ियों ने 38 स्वर्ण, 27 रजत और 36 कांस्य पदक सहित पहली बार पदकों का शतक बनाते हुए रिकॉर्ड 101 पदक अपने नाम किए.
साल 2014 में 20वें राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन स्थल बना ग्लास्गो.
भारत यहां पिछले 101 पदको के मुक़ाबलें 64 पदको पर सिमट गया.
भारत के हाथ 15 स्वर्ण, 30 रजत और 19 कांस्य पदक लगे.
राष्ट्रमंडल खेल में भारत अभी तक 155 स्वर्ण, 155 रजत और 128 कांस्य पदक सहित 438 पदक जीत चुका है.
ज़ाहिर है 500 पदक का आंकड़ा छूने के लिए भारतीय खिलाड़ियों को जी-तोड़ प्रदर्शन करना होगा.