Team TRP
Pic Courtsey: BBC
तक़रीबन डेढ़ साल पहले डॉ. जैको नेल कॉकर स्पैनियल नस्ल के अपने कुत्ते हार्वी के साथ खेल रहे थे जब उन्होंने अपने हाथ पर हल्की सी खरोंच देखी.
उन्होंने खरोंच को साफ़ किया और फिर रोज़ के कामों में लग गए. दो हफ़्ते तक सब ठीक रहा लेकिन उसके बाद उन्हें फ़्लू जैसा कुछ हुआ. उन्हें समझ नहीं आया कि आख़िर हो क्या रहा है.
दरअसल उन्हें कुत्ते की लार की वजह से सेप्टिसीमिया (एक तरह का संक्रमण) हो गया था जिससे उनके ख़ून में ज़हर फैल गया और उनका बीमारियों से लड़ने की ताक़त जाती रही.
सेप्टिसीमिया संक्रमण दुनिया भर में होने वाली मौतों के पीछे एक बड़ी वजह है.
नेल मरे तो नहीं लेकिन वे मौत के ‘बहुत क़रीब’ थे.
जैको का मामला बहुत रेयर है लेकिन ये असली भी है. दुनिया भर में हर साल तकरीबन दो करोड़ लोग सेप्टिसीमिया के शिकार होते हैं.
नेल को पहले तो अंदाज़ा नहीं हुआ कि वो किस हद तक बीमार हैं क्योंकि तब उन्हें सिर्फ बुखार था. वे बस सोने के लिए चले गए.
उन्होंने बताया, “शाम को मेरी पार्टनर घर आई और उसने मुझे गंभीर हालत में पाया. उसने इमरजेंसी सेवा को फ़ोन किया. शुक्र है कि वो समझ गए कि मामला क्या है और उन्होंने तुरंत मेरा इलाज शुरू कर दिया.”
सेप्टिसीमिया जितनी जल्दी पकड़ में आए, मरीज़ के उतनी जल्दी ठीक होने की उम्मीद बढ़ जाती है. इस संक्रमण की स्थिति में एक-एक मिनट क़ीमती होता है. जैसे-जैसे वक़्त बीतता है, ख़तरा बढ़ता जाता है.
नेल बताते हैं, “मुझे घर से ही एंटीबायटिक्स और ज़रूरी तरल पदार्थ दिए जाने लगे थे लेकिन फिर भी मैं इमरजेंसी रूम में पहुंचते ही बेहोश हो गया.”
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इसके बाद अगले पांच दिन तक वो आईसीयू में रहे क्योंकि वो कोमा में चले गए थे.
नेल ने बताया, “जब मुझे होश आया तो मैंने देखा कि मेरा शरीर लगभग काला पड़ चुका था. मेरे ख़ून के थक्के अजीब तरीक़े से जम गए थे और मेरे टिश्यू (ऊतक) को भी नुकसान पहुंचा था.”
नेल की किडनियां भी फ़ेल हो गई थीं और उन्हें दो महीने तक डायलिसिस पर रखना पड़ा था.
चार महीने तक हॉस्पिटल में रहने के बाद उनके दोनों पैर घुटनों से नीचे तक काट दिए गए. उनकी नाक का ऊपरी हिस्सा भी ख़त्म हो गया.
नेल के मुताबिक़, “मेरे लिए ये बेहद मुश्किल वक़्त था. मुझे शुरू से पता था कि मेरी उंगलियां और मेरे पैर जाने वाले हैं लेकिन मेरे चेहरे के साथ भी ऐसा कुछ होगा, इसका अंदाज़ा मुझे नहीं था.”
हॉस्पिटल के बाद भी उन्होंने खाने, चलने और सांस लेने में बहुत तकलीफ़ झेली. उनके होठों पर जख़्मों के निशान भी बाकी रह गए.
नेल ने बताया कि इस दौरान वे बुरी तरह से चिड़चिड़े और अवसादग्रस्त हो गए थे. हालांकि तीन महीने के बाद वे दोबारा चलने लगे. लेकिन जो हुआ, उस पर उन्हें आज भी यक़ीन नहीं होता.
नेल की मुश्किलें यहीं ख़त्म नहीं हुईं. अपने आप तक़लीफ़ भोगने के बाद उन्हें एक और बेहद मुश्किल फ़ैसला लेना पड़ा. उन्हें अपने प्यारे कुत्ते हार्वी को जान से मारना पड़ा ताकि कोई और उनकी तरह संक्रमित न हो.
अब नेल की हालत काफी सुधर गई है. वे कार चला सकते हैं. अस्पताल से उन्हें एक कृत्रिम नाक मिली है लेकिन अब वो उसे नहीं पहनते. उनका कहना है कि उनके साथ जो हुआ, वे उसे किसी से छिपाना नहीं चाहते.
क्या है सेप्टिसीमिया?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़ ये एक ऐसा संक्रमण है जो तब होता है जब इंसान के शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र (इम्यून सिस्टम) किसी इंफ़ेक्शन के जवाब में कुछ ज़्यादा ही सक्रिय हो जाता है.
सेप्टिसीमिया होने पर शुरुआती समस्या हल्की लग सकती है जैसे उंगली में कहीं हल्की सी खरोंच या कट. लेकिन अगर सही वक़्त पर इसकी वजह का पता नहीं चला तो शरीर को बहुत नुक़सान हो सकता है. मसलन, टिश्यू को क्षति पहुंच सकती है, कोई अंग काम करना बंद कर सकता है और मौत भी हो सकती है.
सेप्टिसीमिया क्यों होता है, इसकी असल वजह अभी तक पता नहीं चल पाई है. इसके ख़तरनाक असर को देखते हुए इसे ‘साइलेंट किलर’ कहा जाता है.
सेप्टिसीमिया को पहचान पाना भी बहुत मुश्किल है क्योंकि इसके शुरुआती लक्षण किसी आम संक्रमण और बुखार जैसे होते हैं.
सेप्टिसीमिया फ़ंड ऑफ़ यूनाइटेड किंगडम के अनुसार सेप्टिसीमिया के छह प्रमुख लक्षण हैं- बोलने में परेशानी, मांसपेशियों में दर्द, ठंड लगना, पेशाब में तकलीफ़, सांस लेने में परेशानी और स्किन पर धब्बे या खुजली.
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