Kumar Prem jee, Senior Editor, TRP
Pic courtsey: NBT
“घटना थोड़ी अलग है, संवेदनशील है मगर उनके लिए जिनके पास संवेदना हो। इसलिए घटना को बयां करने का तरीका भी थोड़ा अलग है। पूरी घटना समझने से पहले कुछेक सवाल दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में बीजेपी से, दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की सरकार के प्रधान सेवक नरेंद्र मोदी से। सीएम योगी आदित्यनाथ से नहीं, जो खुद इस मामले में अब पार्टी बन चुके हैं। सामूहिक बलात्कार के आरोपी विधायक को संरक्षण देने के आरोपी। भगवान राम से तुलना करने वाले आरोपी विधायक को शह देने के आरोपी। जी हां, बात उन्नाव की उसी घटना की हो रही है जिसमें एक पीड़िता ने सामूहिक बलात्कार सहा, फरियादें अनसुनी रही और अब पिता की हत्या भी झेल रही हैं।
गैंगरेप की आरोपी 18 वर्षीय युवती अपने परिवार के मुख्यमंत्री आवास पर आत्मदाह करने पहुंची थी जिन्हें पुलिस ने रोक लिया। आरोपी विधायक ने कहा कि आरोप तो भगवान राम पर भी लगे थे। बढ़ते हैं इन 7 सवालों के साथ, जो चीख-चीख कर बीजेपी और बीजेपी सरकार से जवाब मांग रही हैं
कहां हैं बीजेपी के नेता अमित शाह? कहां हैं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी? आत्मदाह की विफल घटना के बाद उन्नाव से दबंग विधायक कुलदीप सेंगर के भाई ने लड़की के पिता को केस वापस लेने की धमकी दी। मना करने पर उसकी पिटाई की गयी। पुलिस ने इस मामले को दर्ज करने से मना कर दिया। उल्टे लड़की के पिता को हिरासत में ले लिया। हिरासत में ही उसकी हालत बिगड़ गयी। रात में उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, सुबह डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। एक के बाद एक अपराध की घटनाएं घटती रहीं। बलात्कार, सामूहिक बलात्कार और फिर पीड़िता के पिता की हत्या। जिस पत्रकार ने घटना को कवर किया, उसके ऊपर भी केस। ये सारी घटनाएं तब हो रही हैं जब पीड़िता मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दरबार में पहुंच चुकी थी। शर्मनाक! धिक्कार है मुख्यमंत्री पर। धिक्कारी है बीजेपी सरकार पर। धिक्कार है बीजेपी अध्यक्ष पर और धिक्कार है बीजेपी की केन्द्र सरकार पर, जिसके अगुआ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं।
अपराध और अपराधी को शरण देने का इससे भी बड़ा सबूत कुछ हो सकता है? आरोपी विधायक कुलदीप सेंगर अपनी तुलना भगवान राम से कर रहे हैं कि आरोप तो उन पर भी लगा था। योगी आदित्यनाथ से बेहतर भगवान राम के उदाहरण को कौन समझ सकता है जो अध्यात्म से राजनीति का सफर तय करते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री बने हैं। जिन्होंने नारा दिया था “महिला के सम्मान में, बीजेपी मैदान में।”
क्या सीएम योगी नासमझ हैं कि घटनाओं का मतलब नहीं जानते? ऐसा नहीं है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन घटनाओं की सीरीज़ का मतलब नहीं समझते होंगे। पीड़िता की गुहार, आत्महत्या की कोशिश, पिता पर हमला, पिता को आर्म्स एक्ट में बंद करना और हिरासत में पिता की मौत हो जाना। सरासर ये हत्या है। यूपी में चुनाव के समय बीजेपी ने नारा दिया था- महिलाओं के सम्मान में बीजेपी मैदान में। मगर, गैंगरेप की पीडि़ता फरियाद कर रही है और टीम बीजेपी मैदान में कहीं नहीं दिख रही। पीड़िता के पिता की भी हिरासत में मौत हो चुकी है। हमलावर से नहीं योगी सरकार से जूझ रहा है पीड़िता का परिवार
अगर ये मान भी लिया जाए कि बीजेपी विधायक और बीजेपी को फंसाने की साजिश हुई हो, तो भी साजिश से लड़ने का ये तरीका नहीं हो सकता कि पूरी सत्ता को एक परिवार के ख़िलाफ़ इस्तेमाल होने दिया जाए। अब जांच क्या पीड़िता के मरने तक करते रहोगे? जांच की बात हो रही है। मगर जांच क्या होगी? सामूहिक बलात्कार की जांच की बात कहते हुए पीड़िता के पिता की हत्या हो गयी। अब आगे जांच की बात कहते हुए हो सकता है कि पीड़िता के परिवार पर और जुल्म ढाए जाएं। या तो वह आत्महत्या कर ले या फिर केस वापस ले ले। अगर आत्महत्या भी कर लेगी तो क्या होगा। मुख्यमंत्री इसे दुर्भाग्यपूर्ण घटना बता देंगे। पुलिस कहेगी कि जांच होगी, जो दोषी होगा उसे बख्शा नहीं जाएगा। क्या सरकारें इसीलिए होती हैं?” First Publised on UCNewsApp.
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