प्रधानमंत्री जी .. कठुआ से उन्नाव तक ‘शर्म’ आ रही है ..

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KumarPremJee, Senior Editor, TRP

प्रधानमंत्रीजी! दो दिन से जो घटनाएं चर्चा में हैं उसे सामूहिक बलात्कार कहते हैं। कठुआ में बच्ची से, मंदिर में और अल्पसंख्यक समुदाय को डराने-भगाने के इरादे से यह गैंगरेप हुआ। आप कहते हैं कि समाज और देश के रूप में हम सब इसके लिए शर्मसार हैं। कठुआ के मुतल्लिक चलिए हम मान लेते हैं आपकी बात। आप प्रधानमंत्री हैं। आप पर इतना भरोसा करना भी होगा।
मगर, उन्नाव की घटना को देखते हुए बिल्कुल आप शर्मसार नहीं लगते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी। क्यों? क्योंकि-

गैंगरेप की शिकार नाबालिग बच्ची की बात पर सीएम योगी आदित्यनाथ की तरह ही आप भी भरोसा नहीं कर रहे हैं।
आपको भरोसा है अपनी पार्टी के विधायक कुलदीप सेंगर पर, जिसे तुरंत गिरफ्तार करने का आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया है।
आपने सीएम योगी के आवास पर आत्मदाह करने पहुंची गैंगरेप पीड़िता के परिजनों का दर्द और उसकी पीड़ा को जरूर समझा होता अगर वाकई शर्मसार होते।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी! आप देश को विश्वास दिला रहे हैं कि दोनों घटनाओं में कोई अपराधी नहीं बचेगा, न्याय होगा और पूरा होगा। मगर, इस पर देश को भरोसा नहीं हो सकता, इसके भी कारण जान लीजिए-

उन्नाव में गैंगरेप की सबूत खुद पीड़िता है मगर आपकी योगी सरकार को, वहां की पुलिस को सबूत नहीं मिलता। इलाहाबाद हाईकोर्ट में कहती है सरकार कि जब सबूत मिलेगा तब कार्रवाई होगी। डीजीपी भी प्रेस कॉन्फ्रेन्स कर यही कहते हैं। आपकी सरकार इसी जवाब के साथ रहती है।
जून 2017 के बाद से उन्नाव केस की पीड़िता इंसाफ मांग रही है। किस मुंह से आप कहते हैं कि कोई अपराधी नहीं बचेगा, जबकि आरोपी विधायक पर केस तक दर्ज नहीं किया गया? उनसे पूछताछ तक नहीं की गयी?
अब जब अदालत के आदेश पर कुछ कार्रवाई होती दिख रही है तो इसमें योगी सरकार या आपकी सरकार का कोई योगदान नहीं दिखता।
सीबीआई जांच तो मानो हर मामले में अपराधियों को बचाने का एक हथकंडा बन गया है। बीजेपी विधायक की गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई? उत्तर- सीबीआई को जांच सौंप दी गयी है। अब वही फैसला करेगी। जनाब आपकी सरकार ने क्यों नहीं गिरफ्तारी की? सीबीआई तो सोहराबुद्दीन मामले में अमित शाह के खिलाफ ऊपर की अदालत में अपील तक नहीं कर रही है। वह भी भगवा का रंग पहचानने लगी है। जनता कैसे भरोसा करे?

प्रधानमंत्रीजी आप बोल तब रहे हैं जब आप बोलने को मजबूर कर दिए गये हैं। मगर, तब भी सच नहीं बोल रहे। आपको बोलना चाहिए था-

उन्नाव केस में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से आपराधिक गलती हुई। उनके निवास स्थान पर आत्मदाह की कोशिशों के बाद परिवार पर हमले हुए जिसके लिए जिम्मेदार योगी सरकार है।
पीड़िता को इंसाफ तो दूर उससे उसका बाप छीन लिया गया। प्रधानमंत्रीजी, आपको बोलना चाहिए था-

हम योगी आदित्यनाथ की कुर्सी छीन रहे हैं।
प्रधानमंत्रीजी, उन्नाव केस में बहुत वक्त था आपके पास। जो विश्वास आप आज दिलाने की कोशिश कर रहे हैं वह विश्वास आप बहुत पहले दिला चुके होते, अगर आपने यह घोषणा कर दी होती-

जांच पूरी होने और निर्दोष साबित होने तक आरोपी विधायक कुलदीप सेंगर को बीजेपी से निलम्बित किया जाता है।

प्रधानमंत्रीजी! यकीन मानिए कि अगर ऐसा होता तो आरोपी विधायक के भाई की इतनी औकात नहीं होती कि पुलिस के सामने गैंगरेप पीड़िता के पिता को पीट-पीट कर अधमरा कर दिया जाता। बाद में जिनकी पुलिस हिरासत में मौत हो गयी।

इंसाफ का यकीन कैसे करें जब आप इंसाफ के बजाए पीड़ित परिवार पर ही जुल्म करने वालों का साथ दे रहे हैं?
प्रधानमंत्रीजी ! ये बोलना बहुत आसान है कि देर से आने पर लड़की से नहीं, लड़कों से पूछो। जवाब दीजिए मोदीजी-

आपने क्यों नहीं कभी अपनी पार्टी बीजेपी के ‘लड़के’ यानी विधायक कुलदीप सेंगर से कभी कुछ पूछा?
क्यों नहीं पूछा कि करते हो दुष्कर्म और तुलना मर्यादा पुरुषोत्तम रामजी से करते हो कि उन पर भी दाग लगा था?
‘‘जिस तरह की घटनाएं बीते दिनों में देखी हैं, वो सामाजिक न्याय की अवधारणा को चुनौती देती हैं। जिन स्वतंत्रता सेनानियों ने देश के लिए जिंदगी कुर्बानी कीं, ये घटनाएं उनका अपमान हैं।’’- नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्रीजी! कठुआ हो या उन्नाव- ये घटनाएं स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान नहीं करतीं। ये घटनाएं आपके लिए अपमानजनक हैं। जिन स्वतंत्रता सेनानियों का जिक्र आप कर रहे हैं उनमें से कोई एक भी अगर बीजेपी में होता तो गैंगरेप की शिकार नाबालिग की ज़ुबान की लाज रखते हुए ही बिना किसी सबूत के कुलदीप सेंगर जैसे विधायक को पार्टी से निष्कासित कर दिया होता। इसले अपनी बात कहिए मोदीजी, स्वतंत्रता सेनानियों को बीच में लाने की जरूरत नहीं है।

प्रधानमंत्रीजी आप कहते हैं-

“देश के किसी भी राज्य में, किसी भी क्षेत्र में होने वाली ऐसी वारदात मानवीय संवेदनाओं को झकझोर देती हैं।”
यहां भी आप पर्देदारी कर रहे हैं। खुलकर बोलिए कि ये दोनों घटनाएं बीजेपी के शासित राज्यों में हुई हैं। ‘किसी भी राज्य’ कहकर जिम्मेदारी को झटकिए नहीं। यह भाषा ऐसी नहीं है कि मान लिया जाए कि आप शर्मिन्दा हैं। आप तो इस घटना की आंच से बचने वाली भाषा का इस्तेमाल करने में जुटे हैं। ऐसी भाषा से पीड़िताओं को न न्याय मिल सकता है और न ही अपराधियों में कोई भय इससे पैदा होगा।

‘‘दोषियों को भारत सरकार सजा दिलाने में कोई कोताही नहीं होने देगी, मैं इसका भरोसा दिलाना चाहता हूं। हमें सामाजिक व्यवस्था से लेकर न्याय व्यवस्था, सभी को मजबूत करना होगा।’’- नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्रीजी, कोताही आप कर चुके हैं, आपकी सरकार कोताही कर चुकी है। कोताही शब्द हल्का है। अपराधियों को संरक्षण देने का गुनाह किया है आपकी सरकार ने। अब भी आपकी पार्टी गैंगरेप के आरोपी को ढो रही है, उसी पर यकीन कर रही है और गैंगरेप की शिकार की बात सुनने तक को तैयार नहीं है। सामाजिक व्यवस्था और न्याय व्यवस्था सुधारने की भी बात न करें तो बेहतर है। ये वक्त बड़ी-बड़ी बातों का नहीं, कुछ कर दिखाने का है। यूपी की न्याय व्यवस्था ने आपसे पूछे बगैर अपनी जिम्मेदारी निभा दी है।” – प्रधानमंत्रीजी ! आप बिल्कुल शर्मसार नहीं हैं ..

(First Published On UCnewsApp.)

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