क्या ‘जनहित’ के लिए वसुंधरा को राजस्थान से हटाना चाहिए ?

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Dr. Buddhsen Kashyap for TRP

राजस्थान में बीजेपी की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है. दलित विरोध को झेल रही पार्टी के सामने अब राजस्थान में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ उठ रही आवाज से निबटने की चुनौती आ खड़ी हुई है. विरोध कोई और नहीं बल्कि पार्टी के ही विधायक कर रहे हैं. नाम है घनश्याम तिवारी. घनश्याम तिवारी राजस्थान के संगनेर से विधायक हैं. उन्होंने वसुंधरा राजे पर आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री राज्य को लूट रही हैं और पार्टी चीफ को राज्य की सारी स्थितियों की जानाकारी है फिर भी कार्रवाई नहीं की जा रही है. विधायक घनश्याम तिवारी ने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को एक चिट्ठी लिखकर वसुंधरा राजे पर आरोप लगाया कि वे अपने निजी फायदों के लिए राजनीतिक सत्ता का गलत इस्तेमाल कर रही हैं और राज्य सरकार उन लोगों का एक समूह है जो कि धमकी देकर पैसा वसूलता है. यह प़त्र उन्होंने पार्टी के स्थापना दिवस के मौके पर लिखी है. प़त्र के अनुसार, मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से सभी जाति और समुदाय के लोग नाराज हैं और यही कारण था कि मार्च में झुनझुन में हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सार्वजनिक बैठक के दौरान काले झंडे दिखाए गए थे. मुख्यमंत्री की न तो संगठन और न ही सरकारी सुधार में कोई दिलचस्पी है. तिवारी ने दावा किया है कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व से जयपुर, बीकानेर, बाड़मेर, कोटा, उदयपुर, अलवर, अजमेर, सीकर और अन्य जिलों के लोग काफी नाराज हैं. मैं चाहता हूं कि लोगों और राज्य की भलाई को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री को बर्खास्त किया जाय. उन्हें अब और ज्यादा राज्य की राजनीति में नहीं रहना चाहिए और ऐसी स्थिती में ही मैं बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने का विचार करूंगा. मैं वसुंधरा राजे के नेतृत्व में चुनाव नहीं लड़ सकता.

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