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Pic. the Financial Express
सप्ताह भर पहले केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने बाल यौन उत्पीड़न संरक्षण कानून पोक्सो में जल्द संशोधन लाने की बात की और एक अध्यादेश केंद्रीय कैबिनेट के सामने पेश किया जिसे शनिवार को मंज़ूर कर लिया गया है.
इसके क़ानून बनने के बाद कोर्ट अब इस तरह के मामलों में गुनाह साबित होने पर दोषी को मौत की सज़ा सुना सकेंगे.
क्या कड़ी सज़ा से रुकेंगे बलात्कार के मामले?
आंकड़े दिखाते हैं कि बच्चों के साथ यौन हिंसा वो करते हैं जो पहले से ही उन्हें जानते हैं. तो ऐसे में पोक्सो में प्रस्तावित संशोधन के बाद हो सकता है कि परिवार वाले और खुद पीड़िता ऐसे मामलों में सामने नहीं आएगी.”
“कई विकसित देशों में मौत की सज़ा को ख़त्म किया जा रहा है जबकि कई ऐसे देश हैं जहां अब भी इसके लिए मौत की सज़ा का प्रावधान है.”
ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वुमेन्स एसोसिएशन की सचिव कविता कृष्णन का कहना है कि “हमने कई बार कहा है कि मौत की सज़ा बलात्कार रोकने में बिल्कुल भी कारगर नहीं होगी.”
वो कहती हैं कि बच्चों के साथ यौन हिंसा के मामलों इन प्रस्तावित संशोधनों को लागू करने पर असर ये होगा कि इनकी मामले दर्ज होने कम हो जाएंगे.
“ऐसे मामलों में परिवार से क़रीबी या समुदाय के करीबी व्यक्ति शामिल होते हैं और इस कारण उनके ख़िलाफ़ शिकायत करने में हिचक होती है. मौत की सज़ा का प्रावधान होने पर और कम लोग सामने आएंगे.”
“कठुआ और उन्नाव दोनों ही मामलों में सवाल सज़ा का नहीं था बल्कि सत्ता में रहे लोगों को बचाने की कोशिश की जा रही थी, इसका इलाज तो मौत की सज़ा के प्रावधान से नहीं होगी. लेकिन संशोधन का प्रस्ताव दे कर सरकार अपनी पूरी जवाबदेही से बच गई.”
कविता कहती हैं मौत की सज़ा का महिलाओं या बच्चों में बलात्कार रोकने से दूर-दूर तक कोई नाता ही नहीं है. बलात्कार रोकने के लिए सामज के पितृसत्तात्मक ढांचे को बदलना होगा.”
‘मौत की सज़ा से लोगों में डर बैठेगा’
राष्ट्रीय महिला आयोग ने बच्चों के साथ बलात्कार के दोषियों के लिए मौत की सज़ा के प्रस्ताव का स्वागत किया है.
आयोग की चेयरपर्सन रेखा शर्मा ने कहा कि “ये पहला क़दम है, सिर्फ़ कड़े प्रावधान ही नहीं लेकिन अन्य व्यवस्थाएं भी एक साथ लाने से बलात्कार रोकने में मदद मिलेगी. यो ज़रूरी है कि लोग इस चीज़ से डरें कि अगर हम ऐसा करेंगे को हमें कड़ी सज़ा, यहां तक कि फांसी भी मिल सकती है.”
वो कहती हैं “कुछ कड़े कानून निर्भया बलात्कार मामले में बाद भी बने लेकिन न्याय जल्दी नहीं मिलता और हमेशा से कहा जाता है कि ‘न्याय में देरी मतलब न्याय नहीं मिलना है’. ऐसे में इस मामलों को फास्ट ट्रैक कोर्ट में ले जाने और जल्दी न्याय मिलना चाहिए ताकि लोगों में डर बैठे.”
हालांकि वो मानती हैं कि “क़ानून को कड़ाई से लागू किया जाना चाहिए.”
पोक्सो एक्ट में होंगे ये बदलाव
भारत की बात करें तो यहां ‘रेयरेस्ट ऑफ़ द रेयर’ मामले में ही फांसी की सज़ा हो सकती है.
बच्चों के साथ बलात्कार के मामले पोक्सो एक्ट के तहत दर्ज़ किए जाते हैं. इस क़ानून में फिलहाल बच्चों के साथ बलात्कार के दोषियों के लिए 10 साल से लेकर आजीवन उम्र क़ैद तक की सज़ा का प्रावधान है.
इस ऐक्ट में जिन संशोधन का प्रस्ताव दिया गया है उसके अनुसार 12 साल तक की बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार के मामले जीवन पर्यंत क़ैद या मौत की सज़ा का प्रस्ताव है. 16 साल तक की बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार के सभी मामलों में जीवन पर्यंत क़ैद की सज़ा करने का प्रस्ताव है.
साथ ही इसमें फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने और पुलिस स्टेशन और अस्पतालों में फोरेंसिक जांच किट रखने का भी प्रस्ताव दिया गया है.
बलात्कार के सभा मामलों में जांच की समय सीमा दो महीने करने और मामले की सुनवाई भी दो महीने के भीतर ख़त्म करने का प्रस्ताव दिया गया है. प्रस्ताव में एसे मामलों में ऊपरी कोर्ट में अपील किए जाने पर इसका निपटारा छह महीने के भीतर करने का प्रस्ताव है.