क्या कुलदीप सेंगर को बचाने के लिए बीजेपी ने राजनीति की ?
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Kumar Premjee, Senior Editor, TRP
गैंगरेप पर राजनीति के सबूत : नम्बर 1
रेप का आरोपी राजनीति में डूबा हुआ शख्स, मुख्यमंत्री के साथ उठने-बैठने वाला शख्स गैंगरेप करता है। पीड़िता उसका नाम लेती है। उस पर केस तक दर्ज नहीं की जाती। क्या यह राजनीति नहीं है? राजनीतिक ओहदे के दुरुपयोग पर चुप रहना राजनीति ही नहीं आपराधिक राजनीति है।

गैंगरेप पर राजनीति के सबूत : नम्बर 2
एक लड़की मुख्यमंत्री आवास पर सपरिवार आत्महत्या की कोशिश करती है। मुख्यमंत्री की ज़ुबान नहीं खुलती। एक राजनीतिक और ज़िम्मेदार व्यक्ति जो पूरे यूपी का मुखिया है उसकी यह चुप्पी क्या राजनीति नहीं है?

गैंगरेप पर राजनीति के सबूत : नम्बर 3

अगले दिन ही लड़की के पिता पर केस वापस लेने का दबाव डाला जाता है। उसे पुलिस के सामने पीटा जाता है। दबंगों पर कार्रवाई नहीं होती। उन पर केस दर्ज नहीं होता। क्या यह सत्ताधारी दल और पुलिस की मिलीभगत से हो रही राजनीति और उसका सबूत नहीं है?

गैंगरेप पर राजनीति के सबूत : नम्बर 4

केस किस पर दर्ज होता है? जो पीड़िता का पिता है, जिसके साथ मारपीट की गयी, जो ख़ून से लथपथ है। पीड़िता की नज़र से देखिए तो समझ में आएगी कि ये कितनी बड़ी राजनीति है!

गैंगरेप पर राजनीति के सबूत : नम्बर 5

घायल इंसान को दवा लेने का अधिकार, उपचार कराने का अधिकार नहीं दिया जाता। पुलिस की गिरफ्त में ही पीड़िता के पिता की मौत हो जाती है। और क्या और कैसे होती है राजनीति? और इससे अधिक बुरा क्या हो सकता है ऐसी राजनीति का दुष्परिणाम?

गैंगरेप पर राजनीति के सबूत : नम्बर 6

अगर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीच में स्वत: संज्ञान न लिया होता, तो बीजेपी विधायक के बारे में सरकार की ओर से अदालत में कह ही दिया गया था कि कोई सबूत नहीं है। सबूत मिलेगा, तो गिरफ्तारी होगी। सरकार तो अदालत में भी राजनीति ही करती दिख रही थी। अपनी पार्टी के विधायक का बचाव कर रही थी।

गैंगरेप पर राजनीति के सबूत : नम्बर 7

जब लगने लगा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट सरकार की गर्दन पड़ने वाली है तो फैसले वाले दिन सुबह में बीजेपी विधायक को हिरासत में लिया जाता है, गिरफ्तारी से तब भी बचा जाता है। वो तो हाईकोर्ट ने सख्त आदेश दिया कि आरोपी बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर को गिरफ्तार किया जाए, उसके बाद यह सम्भव हो पाया? यह गैंगरेप में राजनीति की पराकाष्ठा का उदाहरण है।

गैंगरेप पर राजनीति के सबूत : नम्बर 8

बीजेपी ने अपनी पार्टी के विधायक को अब तक सस्पेंड नहीं किया है। न कोई तथ्यों की जांच के लिए कमेटी बनायी है। उसने गैंगरेप की पीड़िता की बात से ज्यादा अपने विधायक पर यकीन किया है। क्या इस राजनीति को बर्दाश्त किया जा सकता है? इसके ख़िलाफ़ कैंडल मार्च नहीं निकलना नहीं चाहिए?

गैंगरेप पर राजनीति के सबूत : नम्बर 9

कठुआ में बीजेपी-पीडीपी सरकार दोषियों पर कार्रवाई करने के बजाए मामले को सीबीआई को सौंपने जैसी चीजों में उलझ गयी। जब कांड सामने है, दोषी सामने है तो कार्रवाई होगी न कि सीबीआई-सीबीआई खेला जाएगा और मामले को लटकाने की राजनीति होगी?” हालांकि चुनाव में मिली हार के बाद तोगड़िया ने खुद कहा कि वह अब विश्व हिन्दु परिषद में नहीं हैं. उन्होंने कहा, 32 सालों तक हिन्दुओं की सेवा करता रहा और आगे भी उनके हक के लिए आवाज उठाता रहूंगा. इसकी शुरुआत 17 अप्रैल को अहमदाबाद से करेंगे. अनिश्चितकालीन उपवास पर बैठेंगे और किसानों, महिलाओं और मजदूरों को उनका हक देने की मांग करेंगे. इसके अलावा राम मंदिर, काॅमन सिविल कोड और कश्मीर के हिन्दुओं को वापस बसाने की भी आवाज उठायेंगे. तोगड़िया का आरोप है कि करोड़ों हिन्दुओं की आवाज को दबाने का काम हुआ है. लेकिन इससे उनका लक्ष्य भटकनेवाला नहीं है. अपनी हार को उन्होंने बड़ी जीत के लिए छोटी हार बताया. बताया जाता है कि केन्द्र सरकार, खासकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की निंदा करने के कारण संघ और भारतीय जनता पार्टी, दोनों ही, प्रवीण तोगड़िया से नाराज चल रहे थे और उनको सबक सिखाने के लिए संघ के पदाधिकारियों का चुनाव कराया गया.
(First Published ON UCnewsApp.)

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