Blog: SidhuVasini
Pic Courtesy: NiwanTimes
“अब आप ही बताइए, तीन बच्चे की मां के साथ कोई रेप करता है? मैं मनोवैज्ञानिक आधार पर कह सकता हूं कि ये बिल्कुल असत्य है. महिला उत्पीड़न और हरिजन उत्पीड़न के नाम पर लगता है पूरे समाज का उत्पीड़न हो गया”
ये शब्द भारतीय जनता पार्टी के विधायक सुरेंद्र सिंह के हैं.
ये बातें उन्होंने अपनी पार्टी के विधायक कुलदीप सेंगर के बचाव में कहीं, जिन पर एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार का आरोप है.
पता नहीं सुरेंद्र सिंह किस ‘मनोविज्ञान’ की बात कर रहे थे. दुनिया भर के तथ्यों और आंकड़ों के सामने उनका ये ‘मनोविज्ञान’ चुटकियों में ध्वस्त हो जाएगा.
दुनिया का कोई भी मनोवैज्ञानिक बता देगा कि उनका ये ‘मनोविज्ञान’ कितना ग़लत है.
ग़लत क्यों है?ये जानने के लिए समझना होगा कि बलात्कार क्या है.
भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की धारा 375 के मुताबिक
किसी भी उम्र की महिला की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ या उसकी सहमति के बिना,
•उसके शरीर (वजाइना या एनस) में अपने शरीर का कोई अंग डालना रेप है.
•उसके निजी अंगों को पेनिट्रेशन के मक़सद से नुकसान पहुंचाने की क़ोशिश करना, रेप है.
•उसके मुंह में अपने निजी अंग को कोई भी हिस्सा डालना, रेप है.
•उसके साथ ओरल सेक्स करना, रेप है.
इसके अलावा कुछ और ज़रूरी बातें
महिला को डरा-धमकाकर सहमति लेने, उसे नशीला पदार्थ खिला-पिलाकर या बेहोश करके ऐसा कुछ करना, रेप कहलाता है.
इसके अलावा 16 साल या उससे कम उम्र की लड़की की सहमति के बाद भी ऐसा कुछ करना, रेप कहलाता है, भले ही वो आपकी पत्नी क्यों न हो.
यानी क़ानून में साफ़-साफ़ कहा गया है कि ये अपराध किसी भी उम्र की महिला के साथ हो सकते हैं और महिला की उम्र से इसका कोई लेना-देना नहीं है.
अब अगर इतनी स्पष्टता के बाद भी कोई कंफ़्यूज़न है तो नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के आंकड़ों पर एक नज़र डाल लीजए.
छह साल से कम उम्र की बच्ची और 60 साल के ज़्यादा उम्र की महिला के साथ भी बलात्कार होते हैं. गर्भवती औरतें भी बलात्कार का शिकार होती हैं.
समाज का उत्पीड़न
साल 2015 में कोलकाता में 71 साल की नन से गैंगरेप किया गया था. दिसंबर, 2017 में पांच साल की बच्ची के साथ बलात्कार के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी.
बच्ची के निजी अंगों में 24 सेंटीमीटर लंबी लकड़ी डाली गई थी और फिर उसका ख़ून से लथपथ शव छोड़ दिया गया था.
जम्मू-कश्मीर में आठ साल की आसिफ़ा और पाकिस्तान में सात साल की जैनब के बलात्कार को ज़्यादा वक़्त नहीं हुआ है.
रही बात, महिला और दलित उत्पीड़न के नाम पर पूरे समाज के उत्पीड़न की तो इसमें रत्ती भर भी शक़ नहीं कि एक महिला या एक हरिजन का उत्पीड़न पूरे समाज के उत्पीड़न के बराबर है.
वैसे, ये पहली बार नहीं है जब भारत के नेताओं और चर्चित लोगों ने रेप जैसे बर्बर और नफ़रत भरे अपराध के बारे में ऐसी घटिया (असंवेदशीनल बहुत छोटा शब्द है) बातें कही हैं:
‘क्या रेप में फांसी दी जाएगी? लड़के हैं, ग़लती हो जाती है…’
देश के रक्षामंत्री रह चुके मुलायम सिंह यादव ने चुनावी मौसम में एक रैली के दौरान ये बयान दिया था.
अब ये तो वही जानते होंगे कि उन्होंने ऐसा बलात्कार के आरोपों का सामना कर रहे लोगों का वोटबैंक बटोरने के लिए दिया था या किसी और वजह से.
अगर वो वाक़ई फांसी की सज़ा का विरोध (जिसकी संभावना न के बराबर है) कर रहे थे तो इसका, इससे ज़्यादा बुरा तरीका कोई और नहीं हो सकता.
‘पीड़िता का भी उतना ही दोष है, जितना बलात्कारियों का. उसे लड़कों को भैया कहकर उनके सामने गिड़गिड़िना चाहिए था’
यह बात दिल्ली गैंगेरेप पीड़िता निर्भया के बारे में आसाराम ने कही थी, जो ख़ुद इन दिनों रेप के आरोप में जेल में बंद हैं.
आसाराम ने सिर्फ गैंगरेप से बचने का ये ‘कारगर उपाय’ बताया बल्कि ये भी बता दिया बलात्कार पीड़िता भी उतनी ही दोषी थी जितना उसका बलात्कार करने वाले.
वैसे, एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक रेप के बहुत से मामलों में भाई जैसे करीबी रिश्तेदार ही दोषी होते हैं.
‘रेप इंडिया में होते हैं, भारत में नहीं’
ये बयान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने दिया था.
उन्होंने बड़े यक़ीन से कहा था कि रेप जैसे अपराध गांवों में नहीं, सिर्फ शहरों में होते हैं क्योंकि शहरों पर पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव होता है.
अब ये तो वही बता पाएंगे कि इतनी अहम जानकारी उन्होंने कहां से जुटाई. अब ज़रा बीबीसी की इन ख़बरों के स्क्रीनशॉट पर नज़र डालें.
रेप की ये सारी घटनाएं गांवों, यानी मोहन भागवत ‘भारत’ मे हुईं.
‘बच्चियों की शादी से रुकेंगे रेप’
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ने लड़कियों को रेप से बचाने के लिए उनकी कम उम्र में शादी कराने का ‘उपाय’ सुझाया था.
इतना ही नहीं, उन्होंने अपने विधायकों के साथ मिलकर इस बारे में राज्यपाल को ज्ञापन तक सौंप दिया था.
रेप से बचाने के लिए बाल विवाह का सुझाव. यानी एक अपराध से बचाने के लिए दूसरा अपराध करने का सुझाव.
वैसे, 16 साल या उससे कम की उम्र की लड़की के साथ सम्बन्ध रेप ही कहलाता है, भले ही ये सम्बन्ध उसका पति बनाए.
दूसरी बात, शादीशुदा लड़की का रेप नहीं होगा, ये कैसे कहा जा सकता है?
बलात्कार की ख़बरों पर नज़र डालें तो पाएंगे कि पीड़िताओँ में छोटी बच्चियों से लेकर शादीशुदा युवतियां और बुजुर्ग महिलाएं सब होती हैं.
यानी साफ है, इन नेताओं ने रेप के बारे में जो भी बातें कहीं असल में उनका रेप से कोई ताल्लुक नहीं है.
(First Publised On BBC digital)