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एक काम बहुत ज्यादा शारीरिक मेहनत वाले होते हैं तो कई मानसिक रूप से थका देने वाले। फिलहाल हम बात कर रहे हैं सड़ी लाशें उठाने वाले स्वीपर्स की, जो तकरीबन ऐसी जगहों पर होते हैं, जहां पर खड़े होकर सांस लेना तो दूर, वहां का सीन देखने पर भी लोग घबरा उठते हैं। वर्कर्स तक पड़ जाते हैं बीमार…
– ऑस्ट्रेलियन फॉरेंसिक क्लीनिंग के एमडी जोश मार्सदन बताते हैं कि यह काम हर किसी के बस का नहीं।
– कमजोर वालों की तो बात दूर, कई बार ऐसे भी मामले सामने आते हैं, जब वर्कर्स भी बीमार पड़ जाते हैं।
– मार्सदन कहते हैं कि आप सिर्फ अंदाजा ही लगा लें कि किसी व्यक्ति की लाश एक-दो महीने तक एक कमरे में पड़ी रहे तो वहां की क्या हालत होगी।
– कमरे की बात तो दूर, पूरा इलाका इतनी भयानक गंध से भर उठता है कि लोगों का रहना मुश्किल हो जाए।
– पर ऐसे वक्त में भी फॉरेंसिक क्लीनिंग के कर्मचारियों को वहां की सफाई पूरी सतर्कता से करनी होती है।
– इनका काम सबसे अहम इसलिए है कि ये न सिर्फ इलाके को गंदगी से मुक्त करते हैं, बल्कि आसपास रहने वाले लोगों को भी बीमारियों से बचाने में अहम भूमिका निभाते हैं।
दो महीने पड़ी रही लाश के कमरे में कुत्ते-बिल्ली तक मर चुके थे
– अपना एक एक्स्पीरियंस शेयर करते हुए मार्सदन बताते हैं कि एक बार हमें एक घर की सफाई करनी थी।
– इस घर में एक व्यक्ति की लाश पड़ी थी, जिसकी करीब दो महीने पहले मौत हो चुकी थी।
– लाश खाने वाले कीड़े लाश के पानी के साथ बेडरूम से होते हुए दूसरे कमरों तक पहुंच चुके थे।
– इतना ही नहीं, इस बदबू और गंदगी की वजह से घर में रहने वाले कुत्ते-बिल्ली की भी मौत हो चुकी थी।
– इनके शवों पर भी कीड़े लग चुके थे। कर्मचारियों के लिए यहां सांस लेना भी मुश्किल हो रहा था। इस घर की पूरी सफाई में तीन दिन का समय लगा।
– यहां से हर थोड़ी देर में कर्मियों को घर से बाहर आना पड़ रहा था। साफ-सफाई के बाद पूरे घर में हजारों रुपयों का परफ्यूम छिड़कना पड़ा था।
पिछले 10 सालों से क्लीनिंग बिजनेस चला रहे हैं मार्सदन
– मार्सदन ऑस्ट्रेलिया में पिछले 10 सालों से कॉमर्शियल क्लीनिंग बिजनेस संभाल रहे हैं। उन्हें अक्सर पुलिस थाने से उस घर की साफ-सफाई के फोन आते हैं, जहां किसी की सड़ी-गली लाश पड़ी होती है।
– लाशों में कीड़े लग चुके होते हैं, जो दीवारों तक पर रेंगते नजर आते हैं। शरीर का पानी कमरे में बह रहा होता है।
– इसी के चलते कई केसेज में तो स्वीपर्स के लिए सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। कभी-कभार तो बदबू से बचाव वाले इक्विपमेंट भी हालात के सामने फेल हो जाते हैं।
– साफ-सफाई शुरू करने से पहले कर्मचारियों के अपने पूरे इक्विपमेंट रखने होते हैं। ऐसी जगह खतरनाक बैक्टीरिया और बीमारियों वाली जगहों में से एक होती हैं।
– साफ-सफाई के बाद इन्हें अपने ग्लव्स से लेकर जूते-कपड़ों की भी सावधानी से सफाई करनी होती है। क्योंकि, उनकी एक भी गलती उन्हें भी बीमार कर सकती है।
– मार्सदन कहते हैं कि भयानक बदबू वाले इस काम को दुनिया के सबसे घिनौने कामों में गिना जा सकता है।